Monday, June 15, 2009

आसुँ

आसुँओ से पलके भिगो लेता हूँ
याद तेरी आये तो रो लेता हूँ
सोचता हूँ की भुला दू तुझे
मगर हर बार फैसला बदल देता हूँ

13 comments:

  1. शायरी खूबसूरत है, और संजीदा भी । धन्यवाद ।

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  2. जिनको हम दिल से प्यार करते है,उनको भुला पाना आसान नहीं होता!हाँ रोने से शायद दुःख कुछ कम हो जाता है...

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  3. jagah to fully-faltu hai par aapka sher to bahut hi achha nikla ji...

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  4. bahut khoob, kam shabdon me bahut kuch kaha gya hai is me.

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  5. choti kavita hai par kuch shabdo me kahani rachi ja sakti hai .... achche bol use kiye hai.

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  6. अबकी बार फैशला करने से पहले अच्छी तरह सोच विचार कर लेना !!!

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  7. सोचता हूँ की भुला दू तुझे
    मगर हर बार फैसला बदल देता हूँ


    हा.हा
    भूलना गर मुमकिन होता
    तो तुम्हे भूलने
    से
    पहले
    खुद को भूलता


    ‘.जानेमन इतनी तुम्हारी याद आती है कि बस......’
    इस गज़ल को पूरा पढें यहां
    श्याम सखा ‘श्याम’

    http//:gazalkbahane.blogspot.com/ पर एक-दो गज़ल वज्न सहित हर सप्ताह या
    http//:katha-kavita.blogspot.com/ पर कविता ,कथा, लघु-कथा,वैचारिक लेख पढें,

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  8. मनभावन लेखन अन्दाज
    अति सुन्दर,अद्भुत रचना पढ़ने को मिली
    आभार
    मुम्बई टाईगर
    हे प्रभु यह तेरापन्थ

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  9. ekdam faltoo.........!!sach>>>>>>>>>>!!!!!????

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