Wednesday, June 15, 2011

वो

आस पास शांत हो रहा था सब
आवाज़ें कानो से दूर होती जा रही थी तब
धीरे धीरे वो मुझे अपने आगोश में लेने लगी थी
बहुत समझाया अपने आप को
लेकिन खामोशी में वो मुझे निहारने लगी थी.............

न्ही जानता था इतनी हावी हो जाएगी वो
हर जगह बस छा जाएगी वो
कितना अच्‍छा लग रहा था वो समा
लकिन मै भूल गया था की मै ऑफीस में था

उसकी इतनी नज़दीकी से  मुझे डर लग रहा था
बस कोई देख ना ले यही सोच रहा था
वो मुझमे इस कदर बस रही थी
कि उसके सिवा हर चीज़ दूर लग रही थी

बस अगले ही पल इस सन्नाटे को चीरती हुई एक आवाज़ आई
मेरी तो दुनिया ही जैसे डगमगाई जब दोस्त ने कहा
उठा जा साले...............
ओर वो( मेरी नींद) मेरे पास हो के भी कोसो दूर नज़र आई.......

5 comments:

  1. Awesome...
    Moral of story: Zor ka zatka dhire se laage..

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  2. kya baat hai ...........badiya.

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  3. BEHATREEN.... PAHLI BAAR AAPKE BLOG PAR AAYA HUN PADH KAR ACHA LAGA......

    JAI HIND JAI BHARAT

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