एक कवीता
सोचता हूँ जब भी इस कवीता के बारे में
भूख लग जाती हे
उसकी बेबसी उसकी बेबसी भी नही देखि जाती हे................
एक कवि था बेचारा सा कवीता में खोया रहता था
चोरी चोरी चुपके चुपके कवीता लिखता रहता था
फिर बी ऐसी कवीता ही लिख डाली
जिससे सुन कर उससे
पढ़ी चपले जूते ओर गाली
वो फिर भी कहता फिरता रहा सभी से
कवि तो हम पहले से थे बस ॥
कविताए नही हे ...................
कैसे भागू कविता के चंगुल से
आख़िर कैसे छुडवायु इससे पीछा
ये तो मुझे बदनाम करके मेरा नाम कर गई हे
ये कविता न्ही ये तो मेरा काम तमाम कर गई हे
माना किया था मत पड़ना फिर भी न्ही माने अब भुग्तो
आपकि कबीता पढ़ी वावजूद के आपने इसे न्ही पढ़ेयने के लिए बोला था . आख़िर कैसे छुडवायु अपनी आदत पढ़ेयने की और कमेन्ट लिखने की .कबीता अच्छे हे.
ReplyDeleteBahut khub....Badhia hai.
ReplyDeletekoshish ho to aur behtar prastuti ki jaa sakati hai.
ReplyDeletephir bhi prayas sarahniy hai.
Navnit Nirav
lol!! dhakan hai tu puri!!!
ReplyDeletebechara kavi teri kavita mein to uski band naj gaye...
kya soch ke likha ye..!!
lol super mast hai girl!
hehehhe.......
ReplyDeletekuch socha nhi tabi to aisi kavita likhi haa
अच्छी रचना.. अच्छा हुआ जो कविता न पढ़ने की आपकी सलाह नहीं मानी.:)
ReplyDeleteha ha ha ha
ReplyDeletekaviyon ki watt laga di :)
kyaa baat hai....dhanya ho gaye log jinahone padi ye kavita
ReplyDeletekitni sundar ho,jaise rup ka gagar sirf tujhpe hi meharvan ho.
ReplyDeleteकविता की बीमारी ऐसी है कि एक बार किसी को पद़्अ जाए तो आसानी से नही छूटती].....सो कविता तो पढ़ ली अच्छी लगी।
ReplyDeleteनेहा जी आदमी के स्वभाव मे बड़ा ही कौतूहल पन होता है,
ReplyDeleteजिस बात के लिए रोकिए,उसे करने का ही मन होता है,
कुछ भी हो आपकी कविता एक संदेश ज़रूर देती है,
कवियों को अच्छा लिखने के लिए मजबूर करती है.
जैसा लिखेंगे लोग,वैसा ही मिलेगा पब्लिक का प्यार,
अच्छी रचना पे तालियाँ,वरना,जूते और चप्पल की बौछार,
धन्यवाद आपने कुछ कवियों की आँखें खोल दी,
मेरे दिल की बातें आपने कलम से बोल दी...
itni acchi kavita ko padhne se kyon rokna chahti thi aap. agar aap chahe to prerna se bhari koi kavita mere blog k lie bheje.
ReplyDeletewww.salaamznindadili.blogspot.com
SHUKRIYA NEHA . LOVE U N TAKE CARE!
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत लिखा है आपने ......
ReplyDeleteएक श्वेत श्याम सपना । जिंदगी के भाग दौड़ से बहुत दूर । जीवन के अन्तिम छोर पर । रंगीन का निशान तक नही । उस श्वेत श्याम ने मेरी जिंदगी बदल दी । रंगीन सपने ....अब अच्छे नही लगते । सादगी ही ठीक है ।
Kahana nahi maana ab bhugat rahe hain
ReplyDeleteparne ke baad apna sir dhun rahe hain
;)
nice...very nice..
ReplyDeleteये तो मुझे बदनाम करके मेरा नाम कर गई हे
ReplyDeleteये कविता न्ही ये तो मेरा काम तमाम कर गई हे
ye likhi kaise gayi hai..???? hmm... jo bhi ho..
achha likha gaya hai... :)
bahut badiya , your blog is a testimony of creative work...
ReplyDeleteमेरे गालों ! को ऐसे पकड़ने का आपको अधिकार किसने दिया !!!! हा....हा....हा... क्या करूँ लत लगी है मजाक करने की!!!
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