Tuesday, March 3, 2009

ज़िंदगी

ज़िंदगी तेरी साचाई ने रुसवा किया
जन्नत न्ही माँगी थी तुझसे
बस एक खुशी का डीप जलाया था
फिर भी तूने तन्हा किया.................

1 comment:

  1. यही तो जिंदगी की रीत है...ख़ुशी मांगो तो तन्हाई बिन मांगे मिल जाती है.....अच्छी... रचना

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