एक चमक दिखी
भागने लगा मैं
प्यार से मुँह मोड़
झूठी खुशी
ढूँढने लगा मैं
तेरी हर रुदन
सुनने के बाद भी बेवफा हो गया मैं
इतना दर्द देकर तुझे
अपने लिए खुशिया बटोरने चला मैं
आधे रास्ते में साथ छोड़
रास्ता बदल गया मैं
इतनी ठोकर खा कर भी
उस चमक के पीछे भागता रहा मैं
जानता था तू हमेशा देगा साथ
फिर भी दुसरो के साथ की खातिर
तेरे साथ छोड़ गया मैं......
कितनी दूर निकल गया में
दिल में दर्द भर कर खुद
तन्हा हो गया मैं........
ज़िंदगी से हर उम्मीद छोड़
रास्ते में खो गया में...
मेरे रास्तो में तुझे पाकर
समझ नहीं पाया मैं.........
जब समझ आया तेरा प्यार
सब कुछ खो चुका था मैं..
मुझसे इतने आँसू पाकर भी
तूने सिर्फ़ मेरी हर हंसी की प्रार्थना की
कैसे कर सकता था खुदा भी अब
तुझसे मुझे ओर जुदा.........
आज सब कुछ हार कर
ज़िंदगी में सब कुछ लूटा कर
जीता सा लगा मैं....
तुझसे मिलकर बस सब पा गया था मैं..
तेरे साथ के सिवा बस कुछ ओर नहीं चाहता मैं....
कुछ ओर नहीं चाहता मैं............
भागने लगा मैं
प्यार से मुँह मोड़
झूठी खुशी
ढूँढने लगा मैं
तेरी हर रुदन
सुनने के बाद भी बेवफा हो गया मैं
इतना दर्द देकर तुझे
अपने लिए खुशिया बटोरने चला मैं
आधे रास्ते में साथ छोड़
रास्ता बदल गया मैं
इतनी ठोकर खा कर भी
उस चमक के पीछे भागता रहा मैं
जानता था तू हमेशा देगा साथ
फिर भी दुसरो के साथ की खातिर
तेरे साथ छोड़ गया मैं......
कितनी दूर निकल गया में
दिल में दर्द भर कर खुद
तन्हा हो गया मैं........
ज़िंदगी से हर उम्मीद छोड़
रास्ते में खो गया में...
मेरे रास्तो में तुझे पाकर
समझ नहीं पाया मैं.........
जब समझ आया तेरा प्यार
सब कुछ खो चुका था मैं..
मुझसे इतने आँसू पाकर भी
तूने सिर्फ़ मेरी हर हंसी की प्रार्थना की
कैसे कर सकता था खुदा भी अब
तुझसे मुझे ओर जुदा.........
आज सब कुछ हार कर
ज़िंदगी में सब कुछ लूटा कर
जीता सा लगा मैं....
तुझसे मिलकर बस सब पा गया था मैं..
तेरे साथ के सिवा बस कुछ ओर नहीं चाहता मैं....
कुछ ओर नहीं चाहता मैं............
..बहुत सुन्दर आनंद आ गया...
ReplyDeletebahut hi sunder rachna ha.........
ReplyDeletesaral panktiyo me bahut gud rahasya chipa hua ha.....
मन के भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है आपने.
ReplyDeleteबिछड़ कर मिलने का मज़ा और ही होता है.
ख़ूबसूरती से बयाँ किया है आपने.
आप की कलम को सलाम.
beautifully expressed.
ReplyDeleteआदरणीय पूजा जी
ReplyDeleteसादर सस्नेहाभिवादन !
प्रेम की भावनात्मक अनुभूति प्रस्तुत की है आपने …
कई बार हम अपनों की भावना समझने में असफल रह जाते हैं … फिर भी अपने तो अपने होते हैं … :)
सुंदर कविता के लिए हार्दिक बधाई !
अब मिलन पर्व होली भी आ गया … बस , हाथ भर दूर है :)
♥होली की शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं !♥
होली ऐसी खेलिए , प्रेम का हो विस्तार !
मरुथल मन में बह उठे शीतल जल की धार !!
- राजेन्द्र स्वर्णकार
आज सब कुछ हार कर
ReplyDeleteज़िंदगी में सब कुछ लूटा कर
पूजा जी आज घूमते-घूमते आपके ब्लॉग पर आना हुआ. ब्लॉग देख कर लगा की घूमना सार्थक हो गया. सुन्दर रचना के लिए मेरी बधाई स्वीकार करें. हम दोनों में फर्क मात्र इतना है की आप अपने दिल के भावो को सुन्दर शब्दों में पिरो कर कविता लिखती है और मै उन्ही भावो से गुफ्तगू करता हूँ. आपका भी मेरी गुफ्तगू में स्वागत है.
बहुत खूब लिखा है आपने.
ReplyDeletesundar rachanaa, badhaai.
ReplyDeleteप्यार से मुँह मोड़
ReplyDeleteझूठी खुशी
ढूँढने लगा मैं...
प्यार से मुंह मोड़ को
झूठी ख़ुशी कहा आपने
अच्छा लगा पढ़ कर ...
और
काव्य का सच्चा स्वरुप
शब्दों में झलक रहा है ...
अभिवादन स्वीकारें .
मुझसे इतने आँसू पाकर भी
ReplyDeleteतूने सिर्फ़ मेरी हर हंसी की प्रार्थना की
कैसे कर सकता था खुदा भी अब
तुझसे मुझे ओर जुदा.........
bahut badhiya pooja