Monday, October 25, 2010

दुनिया कहती हेँ

दुनिया कहती हेँ
बड़ा मुश्किल हेँ उस मोड़ का आना
जहा दो राह में से हो एक राह को चुनना

पर मेरी ज़िंदगी कब तक तू उसी एक राह पर चलेगी
कब तक उस मोड़ का इंतेज़ार करवाएगी
जहा मेरी लिए भी दो राहें खड़ी मिलेंगी

उस समय बिना सोचे समझे
पकड़ लूँगा में दूसरी राह
क्योंकि इस राह में ना तो सफ़र
अच्छा मिला ना साथ चलने वाला मुसाफिर

ओर अगर फिर भी उस राह में
कांटो भरा सफ़र मिला
तो भी दुख ना होगा किसी बात का
क्योंकि उन सब का तज़ुर्बा
मेरे पास पहेले से हेँ..........

2 comments:

  1. उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ!!! इतना खुबसूरत एहसास और ई गालिबाना अंदाज़... मन मिजाज खुस हो गया पढकर.

    ReplyDelete
  2. क्योंकि उन सब का तज़ुर्बा
    मेरे पास पहेले से हेँ..........

    Waah waah waah...

    ReplyDelete

LinkWithin

Related Posts with Thumbnails