आस पास शांत हो रहा था सब
आवाज़ें कानो से दूर होती जा रही थी तब
धीरे धीरे वो मुझे अपने आगोश में लेने लगी थी
बहुत समझाया अपने आप को
लेकिन खामोशी में वो मुझे निहारने लगी थी.............
न्ही जानता था इतनी हावी हो जाएगी वो
हर जगह बस छा जाएगी वो
कितना अच्छा लग रहा था वो समा
लकिन मै भूल गया था की मै ऑफीस में था
उसकी इतनी नज़दीकी से मुझे डर लग रहा था
बस कोई देख ना ले यही सोच रहा था
वो मुझमे इस कदर बस रही थी
कि उसके सिवा हर चीज़ दूर लग रही थी
बस अगले ही पल इस सन्नाटे को चीरती हुई एक आवाज़ आई
मेरी तो दुनिया ही जैसे डगमगाई जब दोस्त ने कहा
उठा जा साले...............
ओर वो( मेरी नींद) मेरे पास हो के भी कोसो दूर नज़र आई.......
आवाज़ें कानो से दूर होती जा रही थी तब
धीरे धीरे वो मुझे अपने आगोश में लेने लगी थी
बहुत समझाया अपने आप को
लेकिन खामोशी में वो मुझे निहारने लगी थी.............
न्ही जानता था इतनी हावी हो जाएगी वो
हर जगह बस छा जाएगी वो
कितना अच्छा लग रहा था वो समा
लकिन मै भूल गया था की मै ऑफीस में था
उसकी इतनी नज़दीकी से मुझे डर लग रहा था
बस कोई देख ना ले यही सोच रहा था
वो मुझमे इस कदर बस रही थी
कि उसके सिवा हर चीज़ दूर लग रही थी
बस अगले ही पल इस सन्नाटे को चीरती हुई एक आवाज़ आई
मेरी तो दुनिया ही जैसे डगमगाई जब दोस्त ने कहा
उठा जा साले...............
ओर वो( मेरी नींद) मेरे पास हो के भी कोसो दूर नज़र आई.......
Awesome...
ReplyDeleteMoral of story: Zor ka zatka dhire se laage..
kya baat hai ...........badiya.
ReplyDeleteha ha ha ... nyc :)
ReplyDeletenice blog...
ReplyDeleteBEHATREEN.... PAHLI BAAR AAPKE BLOG PAR AAYA HUN PADH KAR ACHA LAGA......
ReplyDeleteJAI HIND JAI BHARAT