क्या खोया क्या पाया
ये सोचते हुए ही सारा वक़्त बिताया
ज़िंदगी मे राहें बिछड़ती सी रही
मंज़िल भी दूर निकलती सी गई
सोचा तूने एक दिन जी लूँगा ज़िंदगी
ओर हर वक़्त जीने क खवाब साजाता रहा
बस यू ही काल क मूह मे जाता रहा
दिल मे लेकर लाखो सपने ओर भूल कर उनको जो हें अपने
बस अकेला बदता गया आगे आँखो मे भरकर मोती इतने
आस्मा मे तारे हो जीतने......
ये कैसा जीना था तेरा जिसमे जीने क सिर्फ़ खवाब थे
बस ज़िंदगी मे पाने के सिर्फ़ अरमान थे
लकिन कुछ पाने क चकर मे कितना कुछ खोता चला गया तू
जब ये समझा तो जा कर पीछे उनको गला लगना चाहता था बस
उन अपनो को अपना बनाना न्ही बस प्यार से प्यार करना चाहता था बस
लकिन ज़िंदगी से तब दूर निकल गया था तू
अपनी मंज़िल पाने की लड़ाई मे सब कुछ हार गया था तू
मंज़िल भी थी तेरे कदमो मे ये कैसे थी वक़्त की साजिश
अपनो के लिए अपनी जान ही दी लेकिन
उनके साथ की कर भी ना पाया तू गुज़ारिश
फिर सोचा ये क्या खोया ओर क्या पाया.....
ज़िंदगी की इस दौड़ मे तू इतनी दूर अकेला ही चला आया
जहा कुछ न्ही था बस खवाब थे सिर्फ़ जीने के
जीने के ओर सिर्फ़ जीने के..............
oh wow itna intense, tera ye side bhi hai mujhe nahi pata tha..!
ReplyDeletewell its a mixture of both pessimist as well as a optimistic thought towards life, though sad part thoda zyada ho gaya lol but jokes apart i like the quest that u have described here...
नेहा जी!
ReplyDeleteवो जो तनहाई में भी ख़ुद से घिरा रहता था
मैंने उस शख़्स को कल बज़्म में तनहा देखा
bahut sundar.. :)
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है... होली की शुभकामनाएं.
ReplyDeleteअच्छी पंक्तिया है....
क्या खोया क्या पाया
ये सोचते हुए ही सारा वक़्त बिताया
ज़िंदगी मे राहें बिछड़ती सी रही
मंज़िल भी दूर निकलती सी गई
NICE ONE,good keep it up.
ReplyDelete--------------------------------"VISHAL"
aaj me badal gaya , aap ko pad kar , it is very true
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत अच्छे नेहा। आपको होली की हार्दिक शुभकामनाएं और ब्लॉग जगत में स्वागत।
ReplyDeleteबहुत अच्छा नेहा जी बढिया लिखा है आपने हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है और आपको होली की ढेर सारी सुभकामनाएँ ............
ReplyDeleteबहुत अच्छे नेहा। आपको होली की हार्दिक शुभकामनाएं.
ReplyDeletebahut achcha lekh. blog jagat men swagat ke saath holi ki shubhkaamnayen.
ReplyDeletegood friend .very good but aap chote sentence me bade baat kahne ki koshis kijiye is me dam hai .par bhot jyada power nahi hai ...ye baate dil par na le mera yaa kisi kaa bhi apna ek nejariya hota hai ..wese hi mene kaha..ok..thnx
ReplyDeleteइस भीड़ से आगे निकलने की होड़ में
ReplyDeleteजिंदगी पीछे छोड़ आया ...
समझ न सका वक़्त के इस खेल में
क्या खोया क्या पाया ....
ticked the right pulse .. keep writing ..
इस भीड़ से आगे निकलने की होड़ में
ReplyDeleteजिंदगी पीछे छोड़ आया ...
समझ न सका वक़्त के इस खेल में
क्या खोया क्या पाया ....
ticked the right pulse .. keep writing ..
जिंदगी की गहरी समझ की आपकी बातें प्रभावित करती हैं। आशा है, भविष्य में और बेहतर कुछ पढने को मिलेगा। ब्लाग की दुनिया में पदार्पण करने के लिए और होली की हार्दिक शुभकामना।
ReplyDeleteअपनी टिप्पणी से पहले आपको होली की स्नेह भरी शुभकामनाए..,कविता का विषय रोचक है एवम
ReplyDeleteआपका प्यास सराहनीय है ..,अभिनंदन ,मेरे विचार लिख रहा हूं ..,आपकी सोच से मेल खाते है..
काल चक्र का खेल बड़ा ही विचित्र है, जिदगी के किसी मोड़ पर दामन खुशियों से भर देता है
और किसी दुसरे मोड़ पर सब कुछ वापस ले लेता है .., एक हाथ से देती है दुनियाँ सो हाथों से ले लेती है .., यह खेल है कबसे जारी.. मक
नेहा जी, आपका हिन्दी ब्लॉग जगत में स्वागत है। अच्छा लिखने के लिए रचनारत रहें। होली की शुभकामनाएं !
ReplyDeleteआपकी रचना में एक विचार , एक चिंतन है भाव के साथ साथ जो कम ही रचनाओं में पाया जाता है !बधाई !
ReplyDeleteलिखती रहें निरंतर !
narayan narayan
ReplyDeleteहोली की हार्दिक् शुभकामनाएं।
ReplyDeleteसुंदर रचना के लिए बधाईयां।
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लिए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com
होली की हार्दिक् शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबढ़िया नेहा जी,
ReplyDeleteस्वागत है आपका ब्लोगिंग में
BAHUT BADHIYA
ReplyDeleteSwagat hai,
ReplyDeleteKabhi yahan bhi aayen
http://jabhi.blogspot.com
मैं अभी आपके ब्लाग पर हूं। आपका ब्लाग बहुत ही जानकारीपरक तथा सूचनाओं व सामग्री से भरा है। मैं तो एक हिंदी साहित्य की पत्रिका का अदना सा संपादक हूं।
ReplyDeleteअखिलेश शुक्ल
please visit us--
http://katha-chakra.blogspot.com
Great writings
ReplyDeletekeep it up
very good poems
मेरी सुननी पड़ेगी ! वाह ! शायरी में भी दादागिरी ! चलिए, सुनेंगे। लेकिन उससे पहले आपको मेरी पढ़नी पड़ेगी।
ReplyDeleteरमणीय प्रयास ..मेरे ब्लॉग में भी आप आमंत्रित हैं..
ReplyDeleteसितारो के आगे जहॉ और भी है,
ReplyDeleteये जिन्दगी तेरे इम्तहा और भी है,
सब देखने का नजरिया है,आदमी के जाने के बाद लोग सोचते है इसने क्या खोया क्या पाया
रचना बहुत अच्छी है
Really great poem .... you have tried to make a person make aware of the facts, realise what he is doing..... Wish everyone on this earth understands this and live happily.....
ReplyDeleteBest Regards,
Looking forward to some more poems......
fabulous. :)
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