क्यू रो पड़ी तुम मा
मेरी ये अन्तिम यात्रा देख कर
ये अंत न्ही एक शुरूवात हें
कैसे समझाऊ यहा थमी न्ही
यहा से शुरू एक नई सौगात हें
इतना दर्द दिया था मेने दुनिया में आते आते
बस ये अब आख़िरी दर्द दे रही हू जाते जाते
इन आन्सौओ का भी बोझ न्ही ले पाओँगी में
इस दर्द को लेकर इतना लंभा सफ़र न्ही कर पओगि में
जहा में चली हू वाहा भी मेरे कुछ अपने हें
बस कोई बंधन न्ही खुले सब रिश्ते हें
जब में थी तब लगता था सब सुना ओर अकेला
लकिन आज मेरे जाने पर कैसा लगा हें ये मेला
कितना हल्का पन हे यहा
ना कोई गम ना दुख का हे समा
छोड़ आइ हू में पीछे सब वाहा
ओर एक यात्रा ख्तम कर चल पड़ी दुसरे जॅहा
एक रोशिनी ने मुझे खीचा अपनी ओर
न्ही चल रहा मेरा वाहा कोई ज़ोर
इस बंधन से न्ही छूटना मुझे अब
इस बंधन क लिए ही छोड़ आई में पीछे सब
ओर समज गई में जीने का मतलब अब
P.S:-Please Ignore spelling mistakes