Monday, August 17, 2009

वौ नाहि जानते शायाद

जीतना उनकी आदत होगी
झूकना तो वो भूल गये होगे
उचाईया छूना ही उनके अरमान होगे
तकदीर के साथ लड़ना उनका शोक होगा
वो न्ही जानते शायद की खोखली खुशियो मे जीना तो हार है
प्यार के लिए झूकना ही असली जीत है
किसी हारे हुए को उठाना एक ज़िंदगी की उचाई हॅ
कुछ नही पास फिर भी गमो को हरा देना सबसे बड़ी लड़ाई है
आँसू है आँखो मे फिर भी मुस्कुराना ही ज़िंदगी की सचाई है

Wednesday, August 12, 2009

क्या

क्यू सब कुछ बटोरने के बाद
कुछ ख़ालीपन सा लगा ज़िंदगी
किसी चमक के पीछे भागता रहा में ज़िंदगी
मेने जो भी पाया मुझे अपने पर नाज़ था
लकिन फिर भी क्यू खुशियो को मुझसे ऐतराज था

एक बड़ी खुशी के इंतेज़ार में
हर छोटी खुशी को रोंडता रहा
क्या ऐसा था की सब कुछ पाने के बाद
में कुछ चुप चाप ढ़ूढता रहा

कहा भूल आया था में अपनी मुस्कुराहट
न्ही सुन सका में ज़िंदगी की आहट
बस उलझता रहा इन बड़े बड़े सवालो में
समझ न्ही पाया की ज़िंदगी
तूने समझा दिया सब कुछ इन छोटी छोटी बातों में

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