दिल के अरमान आँसुओं में बह गये
रोज ऑफीस आने के बाद भी सारे काम अधूरे रह गये
ज़िंदगी भी बोरियत की दुकान बन गई
सारा काम करके भी अप्रेज़ल की शकल को तरस गये
शायद ये आखरी बार पड़ेगी गालिया
हर गाली ये सोच कर सह गये
खुद की नींद की भी दी क़ुर्बानी
पास के ढाबा वाले की चाय पर भी करी कितनी मेहरबानी
सुबा से शाम तक 6 बजने क इंतेज़ार मे हर सितम सह गए
हमारी ओर प्रमोशन के बीच मे फ़ासले ही रह गए
दिल के अरमान आँसुओं में बह गए
Tuesday, March 24, 2009
दिल के अरमान आँसुओं में बह गये
Thursday, March 12, 2009
पापा कहते हैं
पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा
बेटा हमारा इंजिनियर बनके ऐसा काम करेगा
मगर यह तो कोई ना जाने
की कितने लटक लटक के ये कॉमपार्टमेंट हटाई हे
रोज रातो मे दोस्तो क साथ जग जग के कितने पर्चिया बनाई हे
कितनी मुस्किल से ये डिग्री पाई हॅ
Monday, March 9, 2009
क्या खोया क्या पाया
क्या खोया क्या पाया
ये सोचते हुए ही सारा वक़्त बिताया
ज़िंदगी मे राहें बिछड़ती सी रही
मंज़िल भी दूर निकलती सी गई
सोचा तूने एक दिन जी लूँगा ज़िंदगी
ओर हर वक़्त जीने क खवाब साजाता रहा
बस यू ही काल क मूह मे जाता रहा
दिल मे लेकर लाखो सपने ओर भूल कर उनको जो हें अपने
बस अकेला बदता गया आगे आँखो मे भरकर मोती इतने
आस्मा मे तारे हो जीतने......
ये कैसा जीना था तेरा जिसमे जीने क सिर्फ़ खवाब थे
बस ज़िंदगी मे पाने के सिर्फ़ अरमान थे
लकिन कुछ पाने क चकर मे कितना कुछ खोता चला गया तू
जब ये समझा तो जा कर पीछे उनको गला लगना चाहता था बस
उन अपनो को अपना बनाना न्ही बस प्यार से प्यार करना चाहता था बस
लकिन ज़िंदगी से तब दूर निकल गया था तू
अपनी मंज़िल पाने की लड़ाई मे सब कुछ हार गया था तू
मंज़िल भी थी तेरे कदमो मे ये कैसे थी वक़्त की साजिश
अपनो के लिए अपनी जान ही दी लेकिन
उनके साथ की कर भी ना पाया तू गुज़ारिश
फिर सोचा ये क्या खोया ओर क्या पाया.....
ज़िंदगी की इस दौड़ मे तू इतनी दूर अकेला ही चला आया
जहा कुछ न्ही था बस खवाब थे सिर्फ़ जीने के
जीने के ओर सिर्फ़ जीने के..............
ये सोचते हुए ही सारा वक़्त बिताया
ज़िंदगी मे राहें बिछड़ती सी रही
मंज़िल भी दूर निकलती सी गई
सोचा तूने एक दिन जी लूँगा ज़िंदगी
ओर हर वक़्त जीने क खवाब साजाता रहा
बस यू ही काल क मूह मे जाता रहा
दिल मे लेकर लाखो सपने ओर भूल कर उनको जो हें अपने
बस अकेला बदता गया आगे आँखो मे भरकर मोती इतने
आस्मा मे तारे हो जीतने......
ये कैसा जीना था तेरा जिसमे जीने क सिर्फ़ खवाब थे
बस ज़िंदगी मे पाने के सिर्फ़ अरमान थे
लकिन कुछ पाने क चकर मे कितना कुछ खोता चला गया तू
जब ये समझा तो जा कर पीछे उनको गला लगना चाहता था बस
उन अपनो को अपना बनाना न्ही बस प्यार से प्यार करना चाहता था बस
लकिन ज़िंदगी से तब दूर निकल गया था तू
अपनी मंज़िल पाने की लड़ाई मे सब कुछ हार गया था तू
मंज़िल भी थी तेरे कदमो मे ये कैसे थी वक़्त की साजिश
अपनो के लिए अपनी जान ही दी लेकिन
उनके साथ की कर भी ना पाया तू गुज़ारिश
फिर सोचा ये क्या खोया ओर क्या पाया.....
ज़िंदगी की इस दौड़ मे तू इतनी दूर अकेला ही चला आया
जहा कुछ न्ही था बस खवाब थे सिर्फ़ जीने के
जीने के ओर सिर्फ़ जीने के..............
Thursday, March 5, 2009
तुम(TUM)
क्यू आते हो तुम बार बार
क्यू तड़पाते हो मुझे हर बार
ये कैसे हा ज़िंदगी का आलम
तुम्हारे आते ही ब्लॅंक हो जाते हॅ दिल क सब रो ओर कॉलम
जैसे जैसे आते हो करीब
हर बार बन जाता हॅ नया नसीब
कुछ पॅलो की हे ये कहानी
जीवन की बना देती हॅ नये ज़िंदगानी
बस दिमाग़ को कर देते हो जाम
ये ओर कोई न्ही ये तो हा बस मेरे एग्ज़ॅम्स..
क्यू तड़पाते हो मुझे हर बार
ये कैसे हा ज़िंदगी का आलम
तुम्हारे आते ही ब्लॅंक हो जाते हॅ दिल क सब रो ओर कॉलम
जैसे जैसे आते हो करीब
हर बार बन जाता हॅ नया नसीब
कुछ पॅलो की हे ये कहानी
जीवन की बना देती हॅ नये ज़िंदगानी
बस दिमाग़ को कर देते हो जाम
ये ओर कोई न्ही ये तो हा बस मेरे एग्ज़ॅम्स..
Wednesday, March 4, 2009
Dil
Mana ki dil b toota zaroor haa
Mana ki zindagi b khafa zaroor haa
magar hum b mana lenge zindagi ko
hum b saja lenge naye sapno ko
kyuki hume b apni kabiliyat par garoor haa
Mana ki zindagi b khafa zaroor haa
magar hum b mana lenge zindagi ko
hum b saja lenge naye sapno ko
kyuki hume b apni kabiliyat par garoor haa
Tuesday, March 3, 2009
ज़िंदगी
ज़िंदगी तेरी साचाई ने रुसवा किया
जन्नत न्ही माँगी थी तुझसे
बस एक खुशी का डीप जलाया था
फिर भी तूने तन्हा किया.................
जन्नत न्ही माँगी थी तुझसे
बस एक खुशी का डीप जलाया था
फिर भी तूने तन्हा किया.................
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