क्यू सब कुछ बटोरने के बाद
कुछ ख़ालीपन सा लगा ज़िंदगी
किसी चमक के पीछे भागता रहा में ज़िंदगी
मेने जो भी पाया मुझे अपने पर नाज़ था
लकिन फिर भी क्यू खुशियो को मुझसे ऐतराज था
एक बड़ी खुशी के इंतेज़ार में
हर छोटी खुशी को रोंडता रहा
क्या ऐसा था की सब कुछ पाने के बाद
में कुछ चुप चाप ढ़ूढता रहा
कहा भूल आया था में अपनी मुस्कुराहट
न्ही सुन सका में ज़िंदगी की आहट
बस उलझता रहा इन बड़े बड़े सवालो में
समझ न्ही पाया की ज़िंदगी
तूने समझा दिया सब कुछ इन छोटी छोटी बातों में
कहा भूल आया था में अपनी मुस्कुराहट
ReplyDeleteन्ही सुन सका में ज़िंदगी की आहट
बस उलझता रहा इन बड़े बड़े सवालो में
समझ न्ही पाया की ज़िंदगी
तूने समझा दिया सब कुछ इन छोटी छोटी बातों में
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zindagi har chhoti chhoti baat mein bhi bahit kuch sikha jaati hai.
bahut hi sahi kaha hai aapne
-Sheena
bahut umda neha ji ...hamesha ki trah
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत
ReplyDeleteबहुत अच्छे विचार है आपके...!लिखतीं रहें इंतजार रहेगा..
ReplyDeletebahoot acha neha ji. aisa hi likhiya . aaki likhwat sada barkarar raha
ReplyDeleteआसुँओ से पलके भिगो लेता हूँ
ReplyDeleteयाद तेरी आये तो रो लेता हूँ
सोचता हूँ की भुला दू तुझे
मगर हर बार फैसला बदल देता हूँ bahut hi sundar rachna aage bhi inzar rahega.........