Sunday, April 24, 2011

अंत

इस दर्द का अंत ज़रूर होगा
ज़िंदगी का सवेरा ज़रूर होगा
माना बहुत काली थी ये रात
दर्द भरी थी हर बात
लकिन खुशी का उजाला ज़रूर होगा

बुजदिल थे वो लोग जो अपनी बेवफ़ाई को
मजबूरी का नाम दे गए
जीते जी ज़िंदगी को
कफ़न की दुकान बना गये
कभी ना दे सकते हैं तुम्हे आंसू ये कह कर
आँखो में सिर्फ़ आंसू छोड़ गए

हर अंत की तरह इस अंत के बाद
एक नई शुरूवात होगी
ज़िंदगी में फिर से मीठे सपनो
की बरसात होगी
मुस्कुरा कर आएगी नई सुबह
भूला कर वो गम दे जाएगी
सिर्फ़ खुशी खुशी ओर खुशी की दुआ.......

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