Wednesday, March 16, 2011

साथ

एक चमक दिखी
भागने लगा मैं
प्यार से मुँह मोड़
झूठी खुशी
ढूँढने लगा मैं

तेरी हर रुदन
सुनने के बाद भी बेवफा हो गया मैं
इतना दर्द देकर तुझे
अपने लिए खुशिया बटोरने चला मैं

आधे रास्ते में साथ छोड़
रास्ता बदल गया मैं
इतनी ठोकर खा कर भी
उस चमक के पीछे भागता रहा मैं

जानता था तू हमेशा देगा साथ
फिर भी दुसरो के साथ की खातिर
तेरे साथ छोड़ गया मैं......

कितनी दूर निकल गया में
दिल में दर्द भर कर खुद
तन्हा हो गया मैं........
ज़िंदगी से हर उम्मीद छोड़
रास्ते में खो गया में...

मेरे रास्तो में तुझे पाकर
समझ नहीं पाया मैं.........
जब समझ आया तेरा प्यार
सब कुछ खो चुका था मैं..

मुझसे इतने आँसू पाकर भी
तूने सिर्फ़ मेरी हर हंसी की प्रार्थना की
कैसे कर सकता था खुदा भी अब
तुझसे मुझे ओर जुदा.........

आज सब कुछ हार कर
ज़िंदगी में सब कुछ लूटा कर
जीता सा लगा मैं....
तुझसे मिलकर बस सब पा गया था मैं..
तेरे साथ के सिवा बस कुछ ओर नहीं चाहता मैं....
कुछ ओर नहीं चाहता मैं............

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